वन्दे मातरम्... वन्दे वीरम्... नमामि भारत:...
नस नस में बसा था जिनके नशा, धड़कन में था अजब जुनून,
वे लोग* थे ऐसे दीवाने, कहती है जिन्हें दुनिया गर्म खून.
हर हसरत आशिक की ए दिल, आतिश के बराबर होती है,
शोला लाल भभुखा बन जो, रटती है बस एक ही धून.
बुलंदी तेरे इंकलाब की अब भी, सोते में सुनाई पड़ती है,
बस एक फर्क है आँख खुले तो, चारों और फैला हामून*.
कुछ एक ज़ख्म जो रह गये बाकी, खस्ताहाल न कर डाले,
जीते जी जो मिला नहीं, अब तक न मिला कभी उससे सुकून.
कश्मीर जो सर भारत का है, नक्शे में अलग कर डाला क्यूं?
काश बुलंद होती आवाज़, और अँधा न होता अपना कानून.
नस नस में बसा था जिनके नशा, धड़कन में था अजब जुनून,
वे लोग* थे ऐसे दीवाने, कहती है जिन्हें दुनिया गर्म खून.
हर हसरत आशिक की ए दिल, आतिश के बराबर होती है,
शोला लाल भभुखा बन जो, रटती है बस एक ही धून.
बुलंदी तेरे इंकलाब की अब भी, सोते में सुनाई पड़ती है,
बस एक फर्क है आँख खुले तो, चारों और फैला हामून*.
कुछ एक ज़ख्म जो रह गये बाकी, खस्ताहाल न कर डाले,
जीते जी जो मिला नहीं, अब तक न मिला कभी उससे सुकून.
कश्मीर जो सर भारत का है, नक्शे में अलग कर डाला क्यूं?
काश बुलंद होती आवाज़, और अँधा न होता अपना कानून.
हर बार की तरह इस बार भी अपनी बेबसी का सबब पूछने की जुर्रत कर रहा हूँ तुमसे, भगत सिंह... क्या इसी की कल्पना की थी? इसी का सपना सजाया था? यह तो बद से भी बदतर है...
वे लोग - भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव.
हामून - रेगिस्तान, समतल.
4 comments:
जैसा ज़ुनून उनके मन में भारत की आज़ादी के लिए था...ठीक वैसे ही जोश के साथ आपकी ये देशभक्ति से ओतप्रोत रचना है...
बधाई स्वीकार करें...
Thank you Taneja Sahab...
wow! this post reminds me that patriotism is still alive!!
Remember Suchi... Yeh Desh Hai Veer Jawaanon Ka...
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