Its all about the flood I witnessed on 8th Aug. 2006. It has its own existence with frightening appearance which still exists in my eyes. Those four days with water all around, helicopters in sky, a full gathering of society people on terrace, life without electricity and phone calls, floating dead bodies of animals, cars, beds, gas cylinders and many more was the hell kinda experience that hardly comes in lifetime...
Plz experience my thoughts reading below Gazal and let me know about the missing things which I forgot to mention or couldn't write well... Awaiting for your comments...
अथाह समन्दर घर के अन्दर, देख के जी घबराया क्यूं?
नासूर सारे कुदरत को देकर, अपना संसार बसाया क्यूं?
नासूर सारे कुदरत को देकर, अपना संसार बसाया क्यूं?
सैलाब में डूबा है शहर सारा, बे-नज़र है डूबते को किनारा,
मौत का मंज़र करीब देखकर, जिगर तेरा भर आया क्यूं?
मौत का मंज़र करीब देखकर, जिगर तेरा भर आया क्यूं?
बिजली बादल ऐसे कड़के, जैसे जवां दिलों में शोले भड़के,
कहर जमीं पर थमा नहीं, ये अब्र-ओ-तूफ़ान छाया क्यूं?
कहर जमीं पर थमा नहीं, ये अब्र-ओ-तूफ़ान छाया क्यूं?
दुशवार हुआ जीते जी जीना, राख नहीं पर जला है सीना,
काम न आई जब तेरी दौलत, फिर भी यह मोहमाया क्यूं?
काम न आई जब तेरी दौलत, फिर भी यह मोहमाया क्यूं?
तरसें हैं हम पानी पानी, सफ़र-ए-सहरा में भरी जवानी,
अब होता अफ़सोस देखकर, बेहिसाब पानी बहाया क्यूं?
अब होता अफ़सोस देखकर, बेहिसाब पानी बहाया क्यूं?
करीब दरिया चलकर आया, फिर भी उसको पी न पाया,
कभी तो इसका दर्द सुनो, कि ऐसा तांडव दिखाया क्यूं?
कभी तो इसका दर्द सुनो, कि ऐसा तांडव दिखाया क्यूं?
1 comment:
nice poetry.......
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