Friday, October 27, 2006

चांदनी रात...

देखकर चांदनी रात को दिल में ख्याल आया।
चांदनी रात में उसने मुझे क्यूं है बुलाया।

जाऊंगा जरुर उस से मिलने मैं चांदनी रात में,
प्यार का यह पहला-पहला पैगाम जो है आया।

बहुत हसीं तमन्नायें है इस दिल में अभी लेकिन,
क्यूं मैंने उससे ये सब अभी तक छुपाया।

चांदनी की तरह कोमल है मेरी जान-ए-जिगर,
मेरे ख़्वाबों में मुझे खुदा ने बताया।

क्यूं ना करूं तारीफ़ उस चांदनी की,
जिसने मुझे अपना दीवाना है बनाया।

NYSH निशांत

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