देखकर चांदनी रात को दिल में ख्याल आया।
चांदनी रात में उसने मुझे क्यूं है बुलाया।
जाऊंगा जरुर उस से मिलने मैं चांदनी रात में,
प्यार का यह पहला-पहला पैगाम जो है आया।
बहुत हसीं तमन्नायें है इस दिल में अभी लेकिन,
क्यूं मैंने उससे ये सब अभी तक छुपाया।
चांदनी की तरह कोमल है मेरी जान-ए-जिगर,
मेरे ख़्वाबों में मुझे खुदा ने बताया।
क्यूं ना करूं तारीफ़ उस चांदनी की,
जिसने मुझे अपना दीवाना है बनाया।
NYSH निशांत
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