वक़्त कुछ पीछे चला जाये, और हम में तुम मिल जाये,
न मैं कभी तुमसे दूर जाऊँ, न ही कभी ऐसे हालात आये,
अजनबी थे जब मिले हम, करीब तुमसे यूँ कैसे हुए हम,
अब सोचता हूँ मेरा दिल क्यूँ, कैसे बे-पनाह तुमको चाहे,
बस साथ हो एक तुम्हारा, इन शुल-अंधेरों के रास्तों पर,
हाथों में हाथ हो तेरा और, साथ जीना भी दिल को भाये,
उम्मीद कहूँ या गुजारिश, तुम ख्वाब हो या हो हक़ीक़त,
बस बे-इंतेहा सी मोहब्बत, तुम ही जिंदगी में मेरी लाये,
जब गुजरी थी तेरी बाहों में, ये मेरी सुबहें और मेरी शामें,
दिल तब भी किया वक़्त रोकूँ, पर वक़्त कौन रोक पाये,
क्या ये इश्क़ एक भरम है, या दौर-ए-जिंदगी का मरहम,
मौत भी अगर कभी आये, जुदा ना कर सके हमारे साये,
NYSH निशान्त
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