Friday, October 06, 2006

होंठों पे तेरा नाम...

एक हसीं सी शाम, एक नाजनिं सी जाम,
थोड़ी सी मदहोशी, और लम्बा सा आराम,

दिन का वीरान आलम, रात की खामोश तन्हाई,
दिल में सुकून, और होंठों पे तेरा नाम,

यही है अब इरादा, नही चाहिऐ इस से ज्यादा,
काश कोई पहुँचा दे, उनको मेरा ये पैगाम,

NYSH निशांत

No comments: