उसके लिए मैंने सपना सजाया।
सपने में उसको अपना बनाया।
डोली में बिठा के उसे सीने से लगा के,
दुल्हन बाना के उसे घर ले आया।
जब घूँघट उठाया मैंने पहली बार,
घूँघट में मैंने एक परी को पाया।
बेहद हसीं लगती थी मेरी जान-ए-जाना,
मैंने उसको अपनी बाहों में छुपाया।
खूबसूरत है बेहद उसके क़दमों की आहट,
मैंने सुना, जब वो मेरे करीब आया।
किसी को ना कहना मेरे दिलबर की बातें,
वो तो है जैसे मेरा ही हमसाया।
NYSH निशांत
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