मचलती लहरों पर, छाई है जाने क्यूं, अजब जवानी,
यूँ ही बह चल, मेरे संग-संग, ताज़ा-ताज़ा है पानी.
क्या हवाएँ हैं, क्या फ़जायें हैं, घटाएँ फैली आसमानी,
यूँ ही बह चल, मेरे संग-संग, ताज़ा-ताज़ा है पानी.
छोड़ दो अब रस्मों की राहें, मुमकिन नहीं पर गाहे-ब-गाहे,
चलना है अब तन्हा अकेले, रिश्ते-नाते यहाँ सारे बे'मानी.
यूँ ही बह चल...
यूँ ही बह चल, मेरे संग-संग, ताज़ा-ताज़ा है पानी.
क्या हवाएँ हैं, क्या फ़जायें हैं, घटाएँ फैली आसमानी,
यूँ ही बह चल, मेरे संग-संग, ताज़ा-ताज़ा है पानी.
छोड़ दो अब रस्मों की राहें, मुमकिन नहीं पर गाहे-ब-गाहे,
चलना है अब तन्हा अकेले, रिश्ते-नाते यहाँ सारे बे'मानी.
यूँ ही बह चल...
1 comment:
awesom poem...i mean each line has its own meaning wid al emotions... ts poem truly describes ones feelings... its so weell made n it seems tht d words r cmng straight frm d heart... gr8 work bhya...
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