Friday, July 14, 2006

तेरी पायल...

खन-खन कर के सारी-सारी रैना, गीत सुनाती तेरी पायल,
जब भी चले तू संभल-संभल के, मुझको बुलाती तेरी पायल।


तेरे संग-संग नाचे जब पपीहा, जैसे हुआ हो कैद से रिहा,
लागे है जैसे सावन आया हो, दुनिया को नचाती तेरी पायल।

बरसात के बादल में चांद घिरा, लागे चमकता कोई हीरा,
तन्हा होगा वो तो शायद, मेरी तन्हाई भगाती तेरी पायल।

क्यूं लिखता हरदम मैं नग्मे, कौन बसा मेरी रग-रग में,
तुम ही थी, यह दिल कहता है, शेर मुक़र्रर करती तेरी पायल।

NYSH निशांत

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