तीन दशकों की एक कहानी,
किरदार है उसका, मेरी रानी.
दीदार बयां यूं करे है साजन,
अफसाना जैसे कोई रूहानी.
खास है उसकी हर वो बातें,
जिसमें छुपी हो कुछ नादानी.
रुखसार गर माहताब बताऊँ,
आफताब है वो आंखें नुरानी.
जब से मिले हैं हम उनसे यूं,
देखी नहीं कभी हवा वीरानी.
साल गिरह का गुलजार दिन,
मनाने चला मैं, जश्न तुफानी.
जन्नत जैसा साथ है उसका,
न मिला न मिलेगा तेरा सानी.
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