Friday, August 25, 2006

दोस्ती...

दोस्ती बेहद खूबसूरत चीज़ होती है जनाब,
हम लिख सकते हैं इस पर अनेकों किताब।


इस बार ना छोडेंगे अफ़साना अधूरा सा,
पर शुरू करने से पहले कबूल कीजिये आदाब।

बात कहां से करूं शुरू समझ नहीं आता,
दोस्त ऐसे होते हैं जैसे आसमान पे आफताब।

मिलते हैं जिसे दोस्त उसका नसीब क्या कहिये,
हो जाते हैं पूरे देखे बिना सारे ख्वाब।

रहते हैं वोह साथ-साथ जैसे जोगन और जोगी,
रूठ के इक दूजे से होते बेशक वो बेताब।

चंद पहर जब कोई गुजारे किसी अजनबी संग,
भा जाता दिल को वो जाने खिला सा इक गुलाब।

क्या है उस में, लगता क्यूं वो इतना प्यारा,
पूछकर देखिये किसी से मिलेगा हाजिर-जवाब।

एक जमाना ऐसा गुजरा हमने भी आजमाया खुद,
इतना मिला प्यार जहाँ का लगा ना सके हिसाब।

जो कुछ भी हम होंगे कल, सब उनके ही कारण,
होंगे वजह वही दोस्त अगर हुआ मैं कामयाब।

NYSH निशांत

1 comment:

Kavita said...

Hi nysh ur writting was perfect and please keep on wt\riting like this do *HAPPY FRIENDSHIP DAY*