Friday, January 05, 2007

दिल की चाहत...

चाहता हूँ मैं तू भी चाहे मुझे।
भुलाकर ज़माने को अपनाए मुझे।

अगर ऐतबार ना हो मेरी चाहत पर,
जी चाहे उतना आजमाये मुझे.

हम तो राजी हैं साथ चलने को,
आप अब हमसफ़र बनायें मुझे।

क्या डरती हैं आप इस ज़माने से,
अपने दिल की बात बताएं मुझे।

हो सका तो जरुर कर जाऊंगा कुछ,
चाहे खुदा की कसम खिलायें मुझे।

इंतज़ार है हमें सिर्फ एक मुलाकात का,
मिले वक़्त तो मिलने आयें मुझे।

NYSH निशांत

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