कहा था उस दिन, प्यार है तुमसे,
वो सच था मेरी जान, सची कसम से,
ये मिलन, ये जुदाई अपने दरम्यान,
कुछ रिश्ता जरुर है जन्म-जन्म से,
हर बात क्यूं इतेफाक पर रूकती है,
गर्दे-सफ़र में काश कहता वो हमसे,
तुम थी आखिरी हसरत, ए-खुश्बख्त,
दी थी सदायें रब को दैर-ओ-हरम से,
अपनी जग-हंसाई में हम भी खूब हँसे,
फिर भी न मिला निजात तेरे गम से,
वो सच था मेरी जान, सची कसम से,
ये मिलन, ये जुदाई अपने दरम्यान,
कुछ रिश्ता जरुर है जन्म-जन्म से,
हर बात क्यूं इतेफाक पर रूकती है,
गर्दे-सफ़र में काश कहता वो हमसे,
तुम थी आखिरी हसरत, ए-खुश्बख्त,
दी थी सदायें रब को दैर-ओ-हरम से,
अपनी जग-हंसाई में हम भी खूब हँसे,
फिर भी न मिला निजात तेरे गम से,
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