Friday, December 29, 2006

अब के बरस॰॰॰

जी लुंगा मैं पुरी हयात अब के बरस॰॰॰
हमेशा रहुंगा तेरे साथ अब के बरस॰॰॰

मेरी किताब के कई पन्ने हैं बाकि अभी॰॰॰
उतार दुंगा उसमें सारी कायनात अब के बरस॰॰॰

काफ़ी है उम्मीद अब हमें कर गुजरने की॰॰॰
बस एक बार हो जाये मुलाकात अब के बरस॰॰॰

आज की शाम जश‍न होगा मय के साथ॰॰॰
पहली है यह जो रात अब के बरस॰॰॰

फिर तो खो जाना है मंजिलों की तलाश में॰॰॰
अगर हो जाये इस की शुरुआत अब के बरस॰॰॰

NYSH निशान्त

No comments: