जब-जब अधर्म छाया है, तब-तब कान्हा आया है,
कल-युग में कहाँ है तू, क्या वेश बना कर आया है?
सत-युग में नरसिम्हा बने थे, त्रेता में तुम राम बने,
द्वापर में कृष्णा बन कर के, हमको धर्म सिखाया है।
मार्ग धर्म से जिसका विपरीत, साथी नहीं वो शत्रु है,
एक धर्म है मानवता बस, बाकी सब नश्वर माया है।
सच की जगह झूठ ने ले ली, है सफ़ेद चादर भी मैली,
डरते नहीं अपनी करनी पर, छुरी पर राम लिखाया है।
हर दबंग में हरी दिखता है, संकट में साहस बिकता है
बंद करो अब आँख मिचोली, बता कौन तेरा साया है?
होली में रावण जला दो, जल्दी से अब हरी मिला दो,
समृद्ध अखंड भारत के लिए, अब क्या वेश बनाया है?
कल-युग में कहाँ है तू, क्या वेश बना कर आया है?
सत-युग में नरसिम्हा बने थे, त्रेता में तुम राम बने,
द्वापर में कृष्णा बन कर के, हमको धर्म सिखाया है।
मार्ग धर्म से जिसका विपरीत, साथी नहीं वो शत्रु है,
एक धर्म है मानवता बस, बाकी सब नश्वर माया है।
सच की जगह झूठ ने ले ली, है सफ़ेद चादर भी मैली,
डरते नहीं अपनी करनी पर, छुरी पर राम लिखाया है।
हर दबंग में हरी दिखता है, संकट में साहस बिकता है
बंद करो अब आँख मिचोली, बता कौन तेरा साया है?
होली में रावण जला दो, जल्दी से अब हरी मिला दो,
समृद्ध अखंड भारत के लिए, अब क्या वेश बनाया है?
NYSH निशान्त
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