Friday, July 21, 2006

दीवानगी होती है गजब...

दीवाना कहता है अब, दीवानगी होती है गजब,
ना मानो, या मानो, ये कहतें हैं सब,
दीवाना कहता है अब...


चेहरा निगाहों में, आ मेरी बाहों में,
रोके ना कोई तुझको, कहता है ये रब,
दीवाना कहता है अब...

छायी शाम-ए-तन्हाई, रुत्त नयी जैसे आयी,
गुलाबों पे भंवरे आये, झूमे आज नभ,

दीवाना कहता है अब...

दुआओं के ये साये, कौन इसे चुरा पाये,
रूह जैसे निकले सीने से जाने कौन कब,
दीवाना कहता है अब...

NYSH निशांत

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