Thursday, November 25, 2010

हमनफस - ए बेखबर...

ढूंढ़ता हूँ अब दर--दर, पाने को तेरी इक नज़र,
मुश्किल है नामुमकिन सी, पर है वही मेरी डगर,

यादों की तेरी कशिश, महका रही है मेरा कारवां,
कट जायेगा अब रास्ता, मेरी हमनफस बेखबर,

जुनूं तेरा दिल में लिये, घर से हम चल तो दिए,
जाने कब तक चलना है, लम्बा है तुम बिन सफ़र,

मंजिल होती क़दमों में, जब होता कोई हमराही,
तलाश तमाम हो जाती, तुमसा कोई मिलता अगर,

एक दौर तो गुजर चूका, शाम यूँ ही न ढल जाये,
सुन ले मेरी या रब्बा, दिखा उन दुआओं का असर.

1 comment:

Anonymous said...

beautiful as usual