Friday, August 18, 2006

गज़ल...

तुने मुझको छुआ तो गज़ल बनी, तुम्हें कुछ कुछ हुआ तो गज़ल बनी।
ये जज़ल भी तेरी हमदर्द है, कुछ तुमने कहा तो गज़ल बनी।

क्युं आये ख्वाब अधुरे से, बाकी क्युं रहे होने पुरे से,
ना जाने क्युं तु चला गया, कुछ कसमों और सात फेरे से,

जो अश्क बहे तो गज़ल बनी, तुम चले गये तो गज़ल बनी।

ना याद कभी अब करना हमें, तुम पे ही अब मरना हमें,
जी का ज़ंजाल बना ये इश्क, इश्क नहीं अब करना हमें,

जो इश्क किया तो गज़ल बनी, तु याद आया तो गज़ल बनी।

काटे ना कटे तन्हा रातें, बस याद आती तेरी बातें,
तेरे साथ रहे दिनों की बेहद, तङपाती तेरी यादें,

जो तुम ना मिले तो गज़ल बनी, युं मिल ना सके तो गज़ल बनी।

NYSH निशान्त

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