Friday, November 21, 2008

तर्ज़-ओ-मर्ज़ की दवा...

मजा आता है लफ्जों को पिरोकर, ग़ज़ल बनाने में,
हर-एक लफ्ज़-ओ-शेर पर, वाह-वाही पाने में,

कैसे करे बयान, सारे गम-ओ-शाद एक-दूजे को,
काम आती है तब शायरी, किसी का दिल चुराने में,

दूर रहे या आस पास, ख्वाबों के मीठे एहसास,
हर तर्ज़-ओ-मर्ज़ की दवा है, कलमा सजाने में,

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