Friday, March 23, 2007

इन्केलाब जिंदा है अब भी...

भगत सिंह (२१वर्ष)
(28th September, 1907 - 23rd March, 1931)
भगत सिंह (17 वर्ष)
कालेज विद्यार्थी...
भगत सिंह (20 वर्ष)
जेल में...

आज कुछ लिख रहा हूँ आपको भगत सिंह...

इन्केलाब जिंदा है अब भी दिलों में, तेरी शहादत बहुत काम आयी।
तुम्हें गुनगुना कर सबको सुनाऊँ, आख़िर आज वह भी शाम आयी।

आज़ाद है अब अपना वतन, पर वहशत दिलों में अब भी बहुत है,
बँट चूका है वो हिंद टुकडों में और बांटने इसे आगे आवाम आयी।

लिखता रहा बरसों तक तुझे, चिट्ठियों में अपना दिल-ए-हाल मगर,
ना जाने जवाब में क्यूं हर वक़्त तेरी चिट्ठी खाली और बेनाम आयी।

सरफ़रोश हूँ मैं भी तुझसा और चाहता हूँ तुझे दिल में जिंदा रखना,
जब भी टटोला मैंने दिल को अपने, उसमें से बू-ए-गुल्फाम आयी।

मिटाने हैं सारे निशां-ए-वहशत, दोस्त बनकर या जंग की सूरत,
इन्केलाब के शोले जिंदा है दिल में मुश्किलें चाहे तमाम आयी।

निशांत
NYSH

2 comments:

Anonymous said...

its cool and inspireing

Anonymous said...

It's hot and enthusiastic...