Friday, January 26, 2007

मैं सही हूँ या नहीं ?

मैंने पहली बार जब किताब में भारत का नक्शा देखा था और अब जो देखता हूँ उसमें कई परीवर्तन नज़र आते हैं। मेरे शिक्षक ने जब मैं स्कुल में था, कहा था कि कश्मीर भारत का सर है॰॰॰ अब कश्मीर को पाकिस्तान के हिस्से के रुप में दिखाया गया है, जो भारत का एक अभिन्न अंग है। क्या ये सही है?



ठंडी हवाएँ हसीं वादियाँ और सुहाना ये मौसम॰॰॰
बुलाता है देकर मुझको सदाएँ रहने को हरदम॰॰॰

वो बरफ की चादर ओढकर सीना ताने खङा हिमालय॰॰॰
चाहता है मिटा दुँ मैं उस पर से सारा लहु का रंग॰॰॰

जिस कश्मीर के लिए आज तक इतनी जंग हुई, जिसके लिए शहीदों ने इतनी कुरबानीयां दी, उस स्वर्ग को इतनी आसानी से किसी और को दे दिया। अब भी एक जंग बाकि है, भले वज़ूद खाक हो जाये॰॰॰


भङकी आग में भी जलना होगा॰॰॰
कभी खाक में भी मिलना होगा॰॰॰
निशाँ ना मिट जाये वज़ूद का॰॰॰
इसलिए हर हाल में चलना होगा॰॰॰

और अब ये सर किसी और के पास देखकर दिल में दर्द होता है। उसी दर्द को आज एक गज़ल बनाकर आपके सामने अपना सपना प्रस्तुत कर रहा हूँ।



मुझे भारत का ऊँचा सर चाहिये॰॰॰
उन बुलँदीयों पे अपना एक घर चाहिये॰॰॰

तुम भी चलो अब साथ मेरे हो के सिरफिरे॰॰॰
मोङ दो हवाओं का रुख अगर चाहिये॰॰॰

ऐसे ना सही तुमको किसी की भी आरज़ू॰॰॰
पर कुछ तो हो ऐसा जो अकसर चाहिये॰॰॰

अँगारे हो दिल में जो भङके हर पहर॰॰॰
नशा सा कुछ तेरे अँदर चाहिये॰॰॰

जिसने भी है तोङा तेरे अँदर का आदमी॰॰॰
उसको तोङ डालो गर फिर से हुनर चाहिये॰॰॰

क्युँ कोई यूँ तुम्हारे घर को बाँट दे॰॰॰
मिटाने को उसका निशाँ लश्कर चाहिये॰॰॰

हमें भी है शौक ऊँची उडानों का॰॰॰
आप में से चँद बाजीगर चाहिये॰॰॰

फैला दो सबके दिल-ओ-दिमाग में ये बात॰॰॰
हमें अपना कश्मीर भारत का सर चाहिये॰॰॰

निशांत NYSH

1 comment:

Anonymous said...

फैला दो सबके दिल-ओ-दिमाग में ये बात॰॰॰
हमें अपना कश्मीर भारत का सर चाहिये॰॰॰

sahi hai Nishant Ji...

ab nahin koi geet gazal chahiye
saath jo lad sake wo sir chahiye

himmat bahoot hai is bheed me
dekho ab sirf ek pahal chahiye

badal dene ki hogi kasam khaani
apane andar faulaadi lahar chahiye

jahaan bacha-bacha ho Ram-Raheem
mere khuda mujhe wo shahar chahiye