दुआ है जिंदगी, दवा भी है।
अजीब तेरे शहर की हवा भी है।
रहम-ओ-करम क्यूं किया मुझ पे,
आजकल ये एक जुआ भी है।
ना हो अब मायूस ए मेरे यार,
आज तो मौसम जवां भी है।
शायद आ जाये हमसे मिलने वो,
हमें तो अब ये गुमां भी है।
बारिश में भीग जायेंगे अब,
मोर ने पीहू-पीहू कहा भी है।
NYSH निशांत
1 comment:
good one ...
keep it up....
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