हम तब कितने सच्चे थे, जब हम छोटे बच्चे थे।
अब की क्या हम तुमको सुनायें, पहले ही हम अच्छे थे।
बात बात पर कहते झूठ, थोड़ी सी बात में जाएँ रूठ,
सच का जमाना अब नहीं, बचपन के ज़माने अच्छे थे।
किस पे करें और क्यों भरोसा, जो भी होगा बस अच्छा होगा,
तुम हो कौन, और क्यों आये हो, अकेले ही हम अच्छे थे।
गांवों की गलियाँ, रेत के टीले, हम उन पर बहुत हैं खेले,
बहुत सताती यादें उनकी, मेलों के मौसम ही अच्छे थे।
NYSH निशांत
1 comment:
हम तब कितने सच्चे थे, जब हम छोटे बच्चे थे..
वाह!! बहुत अच्छे विचार हैं...!!
सॉफ़्टवेअर के क्षेत्र में रहकर - मार्शल आर्टस से आध्यात्मिकता तक में पहुँच बनाये रखना कोई आसान काम नहीं है. शुभकामनाएं
लिखते भी रहो, और खुब लिखो.
(हिन्दी को हिन्दी लिपी मे लिखोगे तो और अच्छा रहेगा। हम अगर इसमें कुछ मदद कर सकें तो हमें भी खुशी होगी)
v.wadnere एट जीमेल.कॉम
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