कश्ती है मेरी दरिया किनारे, उस पार जाना है मुझे।
साथ कोई आये तो मेरे, उस पार जाना है मुझे।
कई अहबाब है हमारे इस ज़माने के सताये हुए,
मेरा हाथ थाम ले कोई ग़र तो, उस पार जाना है मुझे।
दिल है साबका दरिया जैसा, जल्दी मायूस हो जाते हैं,
खुश होकर ग़र साथ निभाये तो, उस पार जाना है मुझे।
सताता है यह जमाना, अक्सर तड़पाता भी है ये,
मत सुनाओ ज़माने की रस्में, उस पार जाना है मुझे।
हमने तो किसी का साथ नहीं छोड़ा, ना ही छोडेंगे,
तुम भी अब साथ निभाना हमारा, उस पार जाना है मुझे।
NYSH निशांत
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