अकसर तुम थे याद आये, पर तुम कभी ना आये।
जीने के थे तुम बहाने, दिल हरदम मेरा दुखाये।
इंतज़ार किये भी बरसों, दुशवार हुई झलक भी,
दिल रोया भी याद में तेरी, पर आँसु नहीं आये।
क़यामत थी जब गई तुम, होगी भी जब आओगी तुम,
कहता हूँ मैं ये रब से, दिन वो जल्दी दिखाये।
अब नशवर हो चुका है, मोहब्बत का वो गुलिस्तां,
टूटे हैं ख्वाब सारे, जो थे कभी सजाये।
बंजर है बस्तियां भी, रौंदे है सभी घरोंदे,
अब भी भटक रहें है, यादों के वीरान साये।
दिल की है इक गुजारिश, करना ना इसको खारिज,
आ जाओ लौटकर तुम, दिल की है ये सदायें।
NYSH निशांत
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